अपनी विरासत :-
शिक्षा से संस्कार का जन्म होता है,यही संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी समाज को स्वस्थ्य, संस्कारवान एवं प्रगतिशील बनाते हैं। लक्ष्य इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की बुनियाद भी ऐसे ही संस्कार और सोच से रखी गई है। स्कूल के संस्थापक श्री जीतेंद्र चतुर्वेदी के दादा स्व. शुभ लक्ष्मण प्रसाद चतुर्वेदी जी क्षेत्र के प्रतिष्ठित शिक्षाविद के साथ -साथ आध्यात्मिक एवं सामाजिक रूप से बेहद प्रतिष्ठित नाम रहे हैं। जिनसे क्षेत्र का शायद ही कोई विरला व्यक्ति होगा जो परिचित न हो। शास्त्री जी के उपनाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध रहे स्व.शुभ लक्ष्मण प्रसाद जी धर्म-कर्म में गहरी आस्था के साथ ही शिक्षा को सामाजिक जागरण,राष्ट्र के सर्वांगीण विकास और मनुष्य के उत्थान का मुख्य कारक मानते थे। उनका दृढ़ मत था कि किसी व्यक्ति का जीवन मात्र उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से ही बदला जा सकता है। वो रीवा क्षेत्र को प्रदेश,देश में शिक्षा,स्वास्थ्य व उच्च नैतिक मूल्यों के केंद्र रूप में देखना चाहते थे।उनकी इस दूरदर्शी एवं प्रेरक सोच से प्रेरणा लेकर जीतेन्द्र चतुर्वेदी ने बचपन से ही शिक्षा क्षेत्र में विंध्य को उच्च स्तर पर ले जाने हेतु विशेष प्रयास करने का दृढ़ संकल्प मन में लिया। आज उस दूरदर्शी स्वप्न का सुखद परिणाम ही लक्ष्य इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल है। जो भावना और यथार्थ के संयुक्त धरातल में क्षेत्र को उच्च गुणवत्ता, संस्कार और उपयोगी शिक्षा देने का श्रेष्ठ कार्य करेगी। लक्ष्य इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में हमारा अथक परिश्रम,कुशल शिक्षकों के साथ-साथ जो सबसे महत्वपूर्ण कारक जुड़ा है वह हमारे प्रेरणापुंज दादा जी स्व.शुभ लक्ष्मण प्रसाद चतुर्वेदी जी का आशीर्वाद,उनका स्वप्न उनकी पुण्य स्मृति के रूप में हमें निरन्तर बेहतर करने का आत्मबल प्रदान कर रहा है,इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए आप सभी का सहयोग आवश्यक है ताकि क्षेत्र के हित में देखा गया पूज्य दादा जी का सपना पूरा किया जा सके।
साभार- संस्थापक जीतेंद्र प्रसाद चतुर्वेदी